फरीदाबाद। यहां के सूरजकुंड-दिल्ली बार्डर स्थित स्थित खोरी इलाके में स्थित झुग्गियों को तोड़ने के लिए तड़के सुबह भारी मात्रा में पुलिस बल और नगर निगम के दर्जनों अधिकारी बुलडोजर के साथ पहुंच चुके हैं। यहां कभी भी तोड़फोड़ शुरू हो सकती है।
Faridabad: bulldozers havoc in Khori in Surajkund today, thousands of police personnel deployed, police arrived from Madhuban
Faridabad. Dozens of police officers and dozens of municipal officials have arrived with bulldozers in the early hours of the morning to break the slums in Khori area located in Surajkund-Delhi border. Demolition can start here anytime.
खोरी की सैकड़ों झुग्गियों को 10 सितंबर को भी तोड़ा जाना था।
नगर निगम के सभी अधिकारी व ड्यूटी मजिस्ट्रेट तय समय पर तैयार भी हो गए थे, लेकिन अचानक कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
कार्यवाही स्थगित होेने पर कई चर्चाएं आम रहीं कि किसी राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से ही इस कार्यवाही को रोका गया है। अधिकारी कुछ भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं थे।
वास्तवितकता यह है कि पिपली में किसान रैली के चलते पुलिस कर्मियों की संख्या कम पड़ गई थी। इसलिए कार्यवाही टाल दी गई थी।
ताजा हालात
इसके पश्चात प्रशासन ने सोमवार को यहां तोड़फोड़ का समय निश्चित किया था।
रविवार रात से ही शासकीय स्तर पर गहमागहमी शुरू हो गई थी।
सूत्रों के मुताबिक अन्य जिलों की पुलिस फरीदाबाद में पहुंचनी शुरू हो गई थी।
सूत्रों का कहना है कि रविवार रात को पुलिस ने कई लोगों को सुरक्षा के लिए हिरासत में ले लिया है, जो तोड़फोड़ की कार्यवाही के समय हंगामा कर सकते हैं।
पुलिस और नगर निगम की किलेबंदी
अद्यतन स्थिति यह है कि खोरी और सूरजकुंड थाना निकट ही है।
इसलिए सूरजकुंड थाने पर पुलिस और नगर निगम दस्ते का एकत्रीकरण शुरू हो गया है।
1500 पुलिसकर्मियों तथा मधुबन, करनाल से पहुंचने की सूचना है।
पुलिस की दुर्गा शक्ति सहित कई डीसीपी, एसीपी और तमाम थानों के एसएचओ तोड़फोड़ स्थल की ओर रवाना हो गए हैं।
नगर निगम मुख्यालय से 15 जेसीबी रवाना हुई हैं और खोरी पहुंच चुकी हैं।
अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस बल के साथ वज्र फायर वाहन तथा दमकल विभाग की 6 गाड़ियां मौके पर बुलाई गई हैं।
स्वास्थ विभाग ने भी आपात स्थिति के लिए सिविल हॉस्पिटल से 5 एंबुलेंस भेजी हैं।
क्यों हो रही तोड़फोड़
यहां 1 हजार से अधिक झुग्गियों व घरों का सरकारी जमीन पर कब्जा है।
यह लगभग 25 एकड़ जमीन हो सकती है।
नगर निगम की यहां करीब 250-300 झुग्गियां तोड़ने की योजना है।
खोरी में नगर निगम व पर्यटन निगम की जमीन है, लेकिन यहां कई साल से अवैध रूप से बड़ी संख्या में झुग्गियां बसाई गई हैं।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
नगर निगम को सुप्रीम कोर्ट में 16 सितंबर को जवाब दायर करना है। इसलिए अब तोड़फोड़ की योजना तैयार की है।
आज क्या होगा
आज फिर गरीबों के मकान टूटेंगे।
आज फिर भूमाफिया साफ बच निकल जाएंगे।
आज भूमाफिया जीतेंगे।
आज मेहनत की कमाई से घर का सपना संजोने वाले मजदूर हार जाएंगे।
आज खोरी के बच्चों को समझ ही नहीं आएगा, जिस आंगन में वे खेलते थे और मां जिस रसोई में खाना बनाती थी, उसे दैत्याकार मशीन क्यों तोड़ गई और क्यों पुलिस वालों ने धमकाया।
आज नगर निगम के गेंडा चर्म अधिकारियों को शर्म नहीं आएगी, जिन्होंने कुछ टुकड़ों की खातिर भूमाफियाओं की प्रारंभिक कार्यवाहियों को नजरअंदाज किया।
5-6 वर्ष पहले भी हुई थी भारी तोड़फोड़
नगर निगम ने 5-6 वर्ष पूर्व भी खोरी गांव में भारी तोड़फोड़ की थी।
तोड़फोड़ की यह कार्रवाई तत्कालीन एसडीएम महावीर, संयुक्तायुक्त राजेश कुमार, ड्यूटी मजिस्ट्रेट एवं नगर निगम के एक्सईएन रमेश बंसल के नेतृत्व में की गई थी।
तब नगर निगम की जमीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए करीब 150 घरों को ढहा दिया गया था। नगर निगम ने उन खाली घरों पर कार्रवाई की थी।
इन घरों को भूमाफियाओं ने बनाकर बेचने के लिए तैयार रखा था।
कौन जिम्मेदार
यह सारा खेल भूमाफियाओं का है।
इन भूमाफियाओं को हर सरकार में राजनीतिक संरक्षण रहा है।
एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले के सिद्धांत पर काम करने वाले इन भूमाफियाओं कई गुट हैं।
इनमें से एक बड़ा भूमाफिया आजकल एक विधायक की चौखट पर हाजिरी मार रहा है।
अजब तेरा गोरखधंधा
खोरी में यहां दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम के स्थायी मीटर लगे हुए हैं।
इतना ही खोरी का रकबा यूं तो फरीदाबाद और हरियाणा का है, लेकिन यहां दिल्ली सरकार के भी बिजली के मीटर लगे हुए हैं।
यहां दो से ढाई हजार रुपए प्रति टैंकर पानी की आपूर्ति की जाती है।
25 साल से बसे हैं लोग
यहां करीब 25 साल पहले माफियाओं ने कॉलोनी काटनी शुरू की थी।
धीरे-धीरे करीब 25 एकड़ जमीन पर कब्जा कर कॉलोनी विकसित हो चुकी।
मौके पर सड़क से लेकर सीवरेज, पेयजल और बिजली की सुविधा नहीं है।
कब्जाधारियों ने पक्के मकान बना लिए हैं।
इनमें 80 फीसदी मुस्लिम परिवार रहते हैं।
ये परिवार कामकाज की तलाश में नूंह (मेवात) सहित उत्तरप्रदेश और बिहार से आकर बसे हैं।
माफिया अभी तक खाली जमीन पर 50-50 वर्ग गज के प्लाट तैयार कर लोगों को बेच रहे थे।
खरीदने वालों को सिर्फ प्लाट का कब्जा मिलता है।
बाकी और कोई कागजात नहीं होते। निगम द्वारा 1999 और 2012 में तोड़फोड़ की थी, लेकिन पूरी कॉलोनी नहीं तोड़ी जा सकी।
तोड़फोड़ के खिलाफ स्थानीय लोग हाईकोर्ट चले गए थे।
वहां से स्टे मिलने पर निगम सुप्रीम कोर्ट चला गया था।
अब वहां मामला विचाराधीन है।